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पश्चिम बंगाल : 'एक्सपायर्ड' सलाइन केस में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट दाखिल

फिलहाल इस मामले की दो अलग-अलग जांच चल रही हैं। एक जांच राज्य स्वास्थ्य विभाग की विशेषज्ञ समिति द्वारा की जा रही है और दूसरी राज्य पुलिस की आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा।

21 Jan 2025

पश्चिम बंगाल : 'एक्सपायर्ड' सलाइन केस में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट दाखिल

कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के राज्य संचालित अस्पताल में इस महीने की शुरुआत में एक महिला और नवजात की मौत के लिए डॉक्टरों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, राज्य स्वास्थ्य विभाग की एक विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस संभावना को खारिज नहीं किया है कि जीवनरक्षक दवाओं, जैसे कि रिंगर्स लेक्टेट और ऑक्सिटोसिन के इंजेक्शन से ये घटनाएं हुई हो सकती हैं।

फिलहाल इस मामले की दो अलग-अलग जांच चल रही हैं। एक जांच राज्य स्वास्थ्य विभाग की विशेषज्ञ समिति द्वारा की जा रही है और दूसरी राज्य पुलिस की आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा।

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में क्या है?

सूत्रों के अनुसार, विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस संभावना को नकारा नहीं है कि रिंगर्स लेक्टेट और ऑक्सिटोसिन के इंजेक्शन से ये हादसे हुए हो सकते हैं। समिति ने इन दवाओं के बैच को अधिक उन्नत क्लीनिकल परीक्षण के लिए भेजा है। साथ ही सलाह दी गई है कि जब तक इन दवाओं की विस्तृत जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक इन्हीं बैच की दवाओं का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

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क्या है मामला?

इस महीने की शुरुआत में पश्चिम मेदिनीपुर के इस अस्पताल में पांच महिलाओं को रिंगर्स लेक्टेट इंजेक्शन दिए जाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई। इनमें से एक महिला, मामनी रुइदास की मौत हो गई और दूसरी महिला, रेखा साव के नवजात की भी मौत हो गई। इस घटना के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया। आरोप लगा कि अस्पताल में 'एक्सपायर्ड' रिंगर्स लेक्टेट का उपयोग किया गया था। यह दवा पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति की गई थी, जिसे पहले कर्नाटक और फिर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया था।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों की लापरवाही को मुख्य कारण बताया। उन्होंने इस मामले में 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया, जिनमें छह वरिष्ठ और छह कनिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं। इसके साथ ही अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट-कम-वाइस प्रिंसिपल (एमएसवीपी) और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (आरएमओ) को भी निलंबित कर दिया गया।

निलंबन के विरोध में जूनियर डॉक्टरों ने आंशिक कार्य बहिष्कार कर दिया है। हालांकि, आपातकालीन विभाग और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में सेवाएं सामान्य रूप से जारी हैं।
 

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